
UP Padma Shri Award: उत्तर प्रदेश से कानपुर आईआईटी प्रोफेसर आशुतोष शर्मा का नाम उन हस्तियों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिन्हें इस साल पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जायेगा। जहां पढ़ें वही बने प्रोफेसर अब मिलेगा सम्मान।
आइए जानते हैं पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित प्रोफेसर आशुतोष शर्मा और उनके योगदान के बारे में।
UP Padma Shri Award:
कानपुर आईआईटी प्रोफेसर आशुतोष शर्मा का नाम उस लिस्ट में शामिल हो गया जिन्हें इस साल पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह लिस्ट गणतंत्र दिवस पर जारी की गई है।
मूल रूप से जयपुर के रहने वाले डॉ आशुतोष शर्मा कानपुर आईआईटी में नैनो टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं। कानपुर आईआईटी से ही 1977-1982 में बीटेक करने वाले आशुतोष शर्मा ने अपने शैक्षणिक करियर की शुरूआत 1990 में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में की थी उन्होंने आईआईटी कानपुर में नैनो टेक्नोलॉजी और इमेजिन सेंटर की भी स्थापना की है और केंद्र सरकार ने बतौर सचिव भी काम किया है। कोविड-19 के दौरान महामारी में महत्वपूर्ण भूमिका।
Dr.Ashutosh sharma:

डॉ. अशुतोष शर्मा का नाम विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के अग्रणी व्यक्तित्वों में गिना जाता है। एक सम्मानित वैज्ञानिक, शिक्षक, और अनुसंधानकर्ता, प्रो. अशुतोष शर्मा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) में रसायन विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology – DST) के सचिव भी रह चुके हैं, जहां उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
प्रो. अशुतोष शर्मा का जन्म जयपुर राजस्थान में हुआ, जहां से उनकी वैज्ञानिक यात्रा शुरू हुई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर की और विज्ञान के प्रति गहरी रुचि दिखाई। उनकी उच्च शिक्षा की नींव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) से हुई, जहां उन्होंने रसायन अभियांत्रिकी (Chemical Engineering) में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद, वे उच्च अध्ययन के लिए अमेरिका चले गए।
उन्होंने अपनी पीएच.डी. की उपाधि पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी (University of Pennsylvania) से प्राप्त की, जहां उन्होंने नैनो-तकनीक और सामग्री विज्ञान (Nano-Technology and Material Science) के क्षेत्र में गहन अनुसंधान किया। अमेरिका में अपने शोध के दौरान उन्होंने वैश्विक स्तर पर विज्ञान में योगदान देने वाले प्रमुख शोधकर्ताओं के साथ काम किया।
शैक्षणिक यात्रा और शोध में योगदान:
Ashutosh sharma
प्रो. शर्मा ने अपनी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत भारत लौटकर IIT KANPUR से की, जहां उन्होंने रसायन अभियांत्रिकी के प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभाला। उनके शोध का फोकस नैनो-मटीरियल्स, बायो-मटीरियल्स, और इंटरफेस साइंस (Surface and Interface Science) पर रहा।
उनके शोध ने भारत को इन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में मदद की। उनकी प्रमुख शोध परियोजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
1. नैनो-मटीरियल्स का विकास: प्रो. शर्मा ने ऊर्जा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण से जुड़े क्षेत्रों में उपयोगी नैनो-मटीरियल्स का विकास किया।
2. सतह विज्ञान: उन्होंने ऐसे स्मार्ट कोटिंग्स और तकनीकों पर काम किया जो विभिन्न सतहों को अधिक टिकाऊ और उपयोगी बना सकें।
3. मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च: उन्होंने फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, और इंजीनियरिंग के विभिन्न आयामों को जोड़कर इंटर-डिसिप्लिनरी रिसर्च की नींव रखी।
उनकी शोध टीम ने न केवल भारतीय शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) में नेतृत्व:
प्रो. अशुतोष शर्मा की पहचान तब और उभरकर सामने आई जब उन्होंने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने इस भूमिका में 2015 से 2021 तक सेवा दी। इस दौरान उन्होंने विज्ञान को जनता के करीब लाने और युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में आगे बढ़ाने की दिशा में बड़े कदम उठाए।
उनके कार्यकाल के मुख्य पहलू:
1. नीतिगत सुधार और विज्ञान का विस्तार
प्रो. शर्मा ने विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं के लिए नीतियां बनाई, जिनसे भारत में रिसर्च और इनोवेशन को प्रोत्साहन मिला।
उन्होंने स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देने पर जोर दिया और Make in India पहल के अंतर्गत नई वैज्ञानिक परियोजनाएं शुरू कीं।
2. स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा
उन्होंने कई विज्ञान और तकनीकी स्टार्टअप्स की स्थापना को प्रोत्साहित किया।
विभिन्न विज्ञान पार्क और इनक्यूबेशन सेंटर की शुरुआत उनके कार्यकाल में हुई।
3. नैनोमिशन
भारत के नैनोमिशन (Nano Mission) को उनकी नेतृत्व क्षमता ने नई ऊंचाई दी।
इस मिशन के तहत नैनोमटीरियल्स और नैनो-इलेक्ट्रॉनिक्स में शोध के लिए बड़े पैमाने पर धनराशि उपलब्ध कराई गई।
4. वैज्ञानिक सहयोग
उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठनों और देशों के साथ मिलकर शोध परियोजनाओं पर काम किया।
अमेरिका, जापान, और यूरोपीय देशों के साथ विज्ञान और तकनीक में सहयोग को उन्होंने प्राथमिकता दी।
पुरस्कार और मान्यताएं
