Most Visited Places in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के 10 सबसे ज्यादा घूमे जाने वाले स्थान यहां हर साल लाखों लोग घूमने आते हैं! आपकी ट्रैवल लिस्ट में कौन सा है।

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Most Visited Places in Uttar Pradesh
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Most Visited Places in Uttar Pradesh: क्या आप उत्तर प्रदेश में घूमने की योजना बना रहे हैं? जानें यूपी के 10 सबसे ज्यादा घूमे जाने वाले पर्यटन स्थल और अपनी ट्रैवल लिस्ट को परफेक्ट बनाएं!”

 

Most Visited Places in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा घूमने की जगहें:

 

1.लखनऊ:- नवाबों का शहर:

 

लखनऊ
लखनऊ

उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ जिसे “नवाबों का शहर” भी कहा जाता है। गोमती नदी के किनारे पर स्थित एक खूबसूरत शहर है जो अपनी संस्कृति और साहित्य के लिए जाना जाता है

गोमती नदी के किनारे पर स्थित नवाबों का शहर लखनऊ अपने नवाबी अंदाज से लोगों को अपना दीवाना बना देगा और लखनऊ की दीवानगी आपके ऊपर चढ़ जाएगी कि फिर कभी आपके ऊपर से नहीं उतरेगी और आपका लखनऊ आने का मन बार बार होगा।

लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों पर ब्रिटिश शासन काल में हुए आक्रमण के निशान आज भी मौजूद हैं जो ब्रिटिश शासन काल में हुए आक्रमण की याद दिलाते हैं।

पुराना लखनऊ अपनी तंग गलियों और बाजारों के लिए जाना जाता है तो नया लखनऊ अपनी चौड़ी सड़कों और पार्कों के लिए जाना जाता है। लखनऊ का “अमीनाबाद बाजार” अपने बाजार के लिए बहुत प्रसिद्ध है जहां पर आप सभी चीजों की खरीददारी कर सकते हैं।

लखनऊ में स्थित लुलु मॉल उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल है और लखनऊ में ही एशिया का सबसे बड़ा पार्क भी है जो 376 एकड़ में फैला हुआ है।

लखनऊ अपने “लखनवी कबाब”के लिए भी जाना जाता है

लखनऊ में आपके लिए घूमने से लेकर शॉपिंग करने और खाने का आनंद लेने के लिए सभी कुछ है।

 

घूमने की अन्य जगहें:

जनेश्वर मिश्र पार्क, अंबेडकर पार्क,मरीन ड्राइव,साइंस सिटी लखनऊ, छोटा इमामबाड़ा,बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ,चिड़िया घर लखनऊ,फिरंगी महल,ब्रिटिश रेजिडेंसी,लखनऊ में फन रिपब्लिक मॉल (शॉपिंग मॉल),लुलु मॉल,लखनऊ का जामा मस्जिद

 

कैसे पहुंचें:-

1.वायु मार्ग:-लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों जैसे कि दिल्ली, मुंबई,चेन्नई,कोलकाता, पटना, चंडीगढ़, बेंगलुरु आदि से जुड़ा हुआ है। जहां से लखनऊ के लिए नियमित रूप से फ्लाइट की उड़ान भरी जाती है।

2.रेल मार्ग:-लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है, जहां से आपको भारत के विभिन्न जगहों के के लिए ट्रेनें मिल जाएगी। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप यहां से बस,ऑटो या कार किसी भी तरह का वाहन लेकर लखनऊ घूम सकते हैं।

3.सड़क मार्ग:उत्तर प्रदेश भारत के सबसे अधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य है। लखनऊ भारत के सभी राज्यों से एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा है जिसके माध्यम से आप बस या कार से आसानी से लखनऊ आ सकते हैं।

2.आगरा:-ताजनगरी

 

ताजमहल आगरा
ताजमहल आगरा

भारत में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक, आगरा का ताज महल है।

भारतीय दर्शनीय स्थलों में आगरा का नाम बेझिझक लिया जाता है क्योंकि ताज महल दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक माना जाता है,। यह पूरी तरह से संगमरमर से निर्मित है,और इसे प्रेम की निशानी भी माना जाता है क्योंकि इसका निर्माण शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में उसके प्रेम की निशानी के रूप में कराया था।

दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा यहीं स्थित है। ताजमहल की असीम सुंदरता प्रेम की दास्तान को बयान करती है। पिछली तरफ यमुना नदी बहती है। यहाँ की एक और चीज़ मशहूर है और वो है स्वादिष्ट आगरा का पेठा, जिसका स्वाद आपकी जबान पर बना रहेगा।

कैसे पहुँचे:

1.हवाई मार्ग:- आगरा से 13 किमी दूर खेरिया हवाई अड्डा एक मौसमी वाणिज्यिक हवाई अड्डा है और नई दिल्ली से केवल एयर इंडिया की उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है।

2.रेल द्वारा:- आगरा कैंट स्टेशन, आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन, राजा की मंडी, आगरा सिटी और ईदगाह रेलवे स्टेशन, दिल्ली, जयपुर, ग्वालियर, झाँसी, कोलकाता, लखनऊ , कानपुर, बिहार, जैसे शहरों से ट्रेनों के नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।.

3.सड़क मार्ग:- आगरा में दो प्रमुख अंतरराज्यीय बस टर्मिनल हैं जिन्हें ईदगाह बस स्टैंड और आईएसबीटी कहा जाता है जो इसे दिल्ली, जयपुर, ग्वालियर, लखनऊ,कानपुर, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों से जोड़ता हैं।

 

घूमने की अन्य जगहें:

ताज महल, आगरा का किला, इतिमाद-उद-दौला का मकबरा, मेहताब बाग, जामा मस्जिद, अकबर महान का मकबरा, मोती मस्जिद, फतेहपुर सीकरी, दिल्ली गेट, बुलंद दरवाजा(दरवाज़ा ए रौज़ा), कांच महल, और सिकंदरा जैसी जगहों पर आप घूम सकते है।

घूमने का सर्वोत्तम समय:- अप्रैल से अक्टूबर।

औसत तापमान: 24 से 34 डिग्री सेल्सियस।

 

3.अयोध्या:-रामनगरी

अयोध्या
अयोध्या

 

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या जिसे भगवान श्री राम की जन्म भूमि के रूप में जाना जाता है एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। अयोध्या का सबसे प्रमुख स्थान है भगवान श्री राम का मंदिर जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था परंतु 1528 में मुगल सम्राट बाबर ने इसे तुड़वा कर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था जिसके बाद हिंदुओं ने इसे अपनी धार्मिक स्थलों के रूप में को दिया था। लेकिन 2020में सुप्रीम के आदेशानुसार भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या पर फिर से मंदिर बनाने की मंजूरी दी जिसने बाद 5अगस्त को भूमि पूजन कर इसका निर्माण शुरू कर दिया गया था जो अब बनकर तैयार हो गया है, 22जनवरी 2024 को भगवान श्री राम की प्राणप्रतिष्ठा के बाद श्री राम मंदिर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। भगवान श्री राम का यह मंदिर विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक होगा।

अयोध्या उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों तरह से बहुत ही बड़ा महत्व है।भगवान् श्री राम की नगरी अयोध्या में 5000 से भी ज्यादा मन्दिर हैं।

 

 

अयोध्या में घूमने की अन्य जगहें:

हनुमान गढ़ी,कनक भवन,सरयू तट,सीता की रसोई,राम की पैड़ी,गुप्तार घाट,दशरथ महल,श्री नागेश्वर नाथ मन्दिर अयोध्या,मणि पर्वत अयोध्या,

 

कैसे पहुंचें:

1.अयोध्या अगर आप वायु मार्ग से जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले लखनऊ हवाई अड्डा आना होगा क्योंकि अयोध्या का हवाई अड्डा अभी नियमित रूप से शुरू नही हुआ है। लखनऊ से आप ट्रेन, बस या फिर प्राइवेट टैक्सी लेकर अयोध्या पहुंचा जा सकता है।

2.रेल मार्ग:-अयोध्या पहुँचने के लिए रेलवे सबसे अच्छा साधन है। अयोध्या कैंट और अयोध्या रेलवे स्टेशन के लिए लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से ट्रेन चलती है। अगर आप अयोध्या या अयोध्या कैंट पहुँचने के लिए आपके शहर से कोई सीधी ट्रेन नही है तो आप मनकापुर से या लखनऊ रेलवे स्टेशन आ सकते है। मनकापुर से अयोध्या 35 किलो मीटर तथा लखनऊ से 130 किलो मीटर दूर है। यहां से आप बस, टैक्सी या कार से अयोध्या पहुँच सकते हैं।

3.सड़क मार्ग:-अयोध्या पहुँचने के लिए सरकारी और निजी बस सेवाओं का बड़ा नेटवर्क है, जो अयोध्या को देश के कई शहरों से जोड़कर रखता है।

घूमने का सही समय:-सितंबर से अप्रैल

 

 

4.वाराणसी:-सिल्क नगरी

 

Varanasi
वाराणसी

वाराणसी, जिसे बनारस और काशी भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे पर स्थित एक अतिप्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म का यह एक तीर्थस्थल है, और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है। उत्तर भारत का प्रसिद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यह हिंदू धर्म का साथ साथ बौद्ध एवं जैन धर्म का भी एक प्रसिद्ध एवं पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है।

 भगवान तथागत गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यही वाराणसी के निकट सारनाथ में ही दिया था। वाराणसी की संस्कृति पर गंगा नदी का प्रभाव बहुत अधिक है,श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। वाराणसी अपने धार्मिक स्थलों के साथ साथ अपने घाटों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है यहां के घाट बहुत ही सुंदर और आकर्षक है जिनके किनारे बैठकर आपको एक अलग ही तरह की शांति की अनुभूति होगी। अगर आप अपनी जिंदगी के कुछ पल शांति से व्यतीत करना चाहते हैं तो वाराणसी आपके के लिए बहुत ही सही जगह है।

बनारस अपनी खूबसूरत साड़ियों के लिए दुनिया भर में मशहूर है।

 

घूमने की अन्य जगहें:

दशाश्वमेध घाट,काशी विश्वनाथ मंदिर,तुलसी मानसा मंदिर,अस्सी घाट,मणिकर्णिका घाट,चुनार का किला ,सारनाथ मंदिर,गोडोवालिया मार्केट,बनारस सिल्क एम्पोरियम,

 

कैसे पहुंचे वाराणसी:

1.वायु मार्ग: वाराणसी का अपना हवाई अड्डा हैलाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा है जो देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है। 

2.रेल मार्ग: वाराणसी में दो रेलवे स्टेशन है,वाराणसी जंक्शन और मुगलसराय जंक्शन जो देश के सभी रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

3.सड़क मार्ग: वाराणसी में आनंद विहार अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा है जो देश सभी प्रमुख बस अड्डों से नियमित रूप से जुड़ा है।

 

 

5. प्रयागराज:-संगमनगरी

 

Prayagraj
प्रयागराज

गंगा और यमुना नदी के संगम पर स्थित प्रयागराज जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था जिसका 2018 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है जिसको संगम नगरी भी कहा जाता है।

प्रयागराज को सभी चारों प्रयागों में श्रेष्ठ माना गया है इसीलिए इसे प्रयागराज कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियां आकर मिलती हैं जिसके कारण इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है प्रयाग में हर 12 साल में एक महाकुंभ और हर 6 साल में एक अर्धकुंभ का मेला लगता है जिसे देखने देश दुनिया भर से लोग आते हैं। प्रयागराज अपने त्रिवेणी संगम और महाकुंभ के कारण दुनिया भर मे प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से जीवन भर के पाप धुल जाते हैं।

प्रयागराज ब्रिटिश शासन काल में उत्तर प्रदेश की राजधानी भी रह चुका है प्रयागराज में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाले कई कार्यालय भी है जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उच्च शिक्षा विभाग कार्यालय, माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय, पुलिस विभाग कार्यालय,आदि।

 

 

प्रयागराज में घूमने की अन्य जगहें:

त्रिवेणी संगम,आनंद भवन,प्रयागराज का किला,जवाहर तारामंडल,अशोक स्तम्भ,ऑल सेंट कैथेड्रल चर्च,इलाहाबाद विश्वविद्यालय,विक्टोरिया स्मारक,स्वराज भवन,चंद्रशेखर आजाद पार्क,

 

 

कैसे पहुंचें:

 

1. वायु मार्ग: प्रयागराज का अपना खुद का कोई हवाई अड्डा नहीं है। अगर आप हवाई मार्ग से प्रयागराज आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले वाराणसी में स्थित लालबहादुर शास्त्री हवाई अड्डे तक आना होगा जहां से प्रयागराज की दूरी 150किमी. है। वहां से बस या टैक्सी लेकर प्रयागराज पहुंचा जा सकता है।

2. रेल मार्ग: प्रयागराज में कई रेलवे स्टेशन है लेकिन मुख्य रेलवे स्टेशन की बात करें तो तीन रेलवे स्टेशन है। पहला प्रयागराज जंक्शन, दूसरा प्रयागराज रामबाग रेलवे स्टेशन तथा तीसरा प्रयागराज छिवकी रेलवे स्टेशन है।

3. सड़क मार्ग: प्रयागराज उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह कई राज्य राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग से काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जिसकी सहायता से आप अपने यहां से प्रयागराज काफी आसानी से जा सकते हैं।

घूमने का सही समय:अक्टूबर से अप्रैल

6. कानपुर: उत्तर भारत का मैनचेस्टर

 

जेके मंदिर कानपुर
जेके मंदिर कानपुर

 

गंगा नदी के तट पर स्थित कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है जिसे उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है। कानपुर अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ साथ धार्मिक दृष्टि से भी कानपुर का बहुत महत्व है।

कानपुर में ही औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई थी

कानपुर को उत्तर की औद्योगिक राजधानी के रूप में जाना जाता है।

कानपुर अपनी ऐतिहासिक इमारतों के साथ साथ अपने स्ट्रीट फूड के लिए भी जाना जाता है कानपुर के स्ट्रीट फूड का अपना अलग ही स्वाद है।

कानपुर की सबसे खास बात जो है वो है यहां की कनपुरिया बोली में यहां की कनपुरिया बोली का एक अलग ही अंदाज है जो लोगों के दिलों पर राज करती है। यहां की बोली सुनकर कभी भी कोई बोर नही होगा। कनपुरिया बोली में एक अलग ही अपनापन छुपा हुआ है जिसे सुनकर बहुत ही आनंद आता है।

 

 

कानपुर में घूमने वाली अन्य जगहें:

एलन फ़ॉरेस्ट ज़ू,जे के मंदिर,मोतीझील,Z स्क्वायर मॉल,बिठूर,जापानी गार्डन,गंगा बैराज,कानपुर मेमोरियल चर्च,नाना राव पार्क,फूलबाग़,इस्कॉन टेम्पल,ग्रीन पार्क, ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क

 

कैसे पहुंचें:-

1.वायु मार्ग: कानपुर में चकेरी हवाई अड्डा है जो लखनऊ,दिल्ली,वाराणसी, से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है जहां से रोजाना कई शहरों के हवाई उड़ाने भरी जाती हैं।

2. रेल मार्ग: कानपुर का सेंट्रल रेलवे स्टेशन देश सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा है जो उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत को नियमित रूप से जोड़े हुए है। यहां से आपको हर जगह के लिए ट्रेनें मिल जाएगी।

3. सड़क मार्ग: कानपुर देश के सभी प्रमुख शहरों से राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है यहां के झकरकट्टी बस अड्डे से देश के सभी शहरों के लिए बस आसानी से मिल जाएगी।

घूमने का सही समय:अक्टूबर से मार्च

 

 

7.मथुरा:-श्री कृष्ण जन्मभूमि

प्रेम मंदिर मथुरा
प्रेम मंदिर मथुरा

 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से मात्र 150 किमी.की दूरी पर स्थित मथुरा उत्तर प्रदेश का एक जिला और प्रमुख धार्मिक स्थल है।

मथुरा यमुना नदी के किनारे पर स्थित एक प्रमुख ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी है। इसे भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। मथुरा भारत का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा भारत का एक प्राचीन शहर है जो हिंदू धर्म के कई पवित्र मंदिरों, मठों और तीर्थ स्थलों के लिए दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। मथुरा में यमुना के किनारे शाम को की जाने वाली आरती और नदी के पानी पर तैरते फूलों के साथ में लाखों दीप एक अद्भुत दृश्य पेश करते हैं जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

मथुरा में बरसाना की लट्ठमार होली अपने विशिष्ठ और अद्भुत त्योहारों में से एक है। यहां होली पूरा एक महीना मनाई जाती है। होली,दिवाली और जन्माष्टमी यहां के प्रमुख त्योहार हैं।

मथुरा की गली गली में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बचपन में की गई लीलाओं की कहानी देखने को मिलेगी। तो अगर आप उत्तर प्रदेश घूमने जाएं तो मथुरा जरूर देखने जाएं।

अगर आपको होली के रंगों में रंगना पसंद है तो आप मार्च के महीने में जाएं। मार्च में यहां का मौसम काफी सुहावना होता है हर तरफ हवा में उड़ते होली के रंगों में रंगा पूरा मथुरा आपका स्वागत करेगा।

मथुरा में घूमने की अन्य जगहें:

श्री कृष्ण जन्मभूमिमंदिर,द्वारिकाधीश मंदिर, प्रेम मंदिर, बरसाना, राधा कुंड,गोवर्धन पहाड़ी,संग्रहालय मथुरा,कुसुम सरोवर ,रंगजी मंदिर,मथुरा के घाट

 

मथुरा कैसे पहुंचे:

1.वायु मार्ग: मथुरा का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। दिल्ली के लिए पर्यटक किसी भी भारतीय शहर या अंतरराष्ट्रीय शहर से फ्लाइट ले सकते हैं। इसके बाद दिल्ली से मथुरा आप बस, टैक्सी या ट्रेन की मदद से पहुंच सकते हैं।

2. रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन मध्य और पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। इसलिए मथुरा जाने वाले पर्यटक दिल्ली, मुंबई, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, आगरा, वाराणसी, लखनऊ और कोलकाता से ट्रेन पकड़ सकते हैं।

3. सड़क मार्ग: अगर आप बस या कार से मथुरा जाना चाहते हैं तो आप सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते हैं। अगर आप बस से जाना चाहते हैं तो देश के सभी प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए बस आसानी से मिल जाएगी।

घूमने का सही समय:-सितंबर से मार्च

8. श्रावस्ती:-परिनिर्वाण

 

श्रावस्ती
श्रावस्ती

श्रावस्ती उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन शहर है। यह भारत का प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है श्रावस्ती उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है

 राप्ती नदी के तट पर स्थित, श्रावस्ती प्राचीन भारत के छह सबसे बड़े शहरों में से एक था, यह शहर गौतम बुद्ध के जीवन से निकटता से जुड़ा हुआ है, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने यहां 25 वर्षा ऋतुएं बिताई थीं। इसके अलावा, श्रावस्ती जैन धर्म के विश्वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है क्योंकि शोभनाथ मंदिर को जैन धर्म के तीर्थंकर संभवनाथ का जन्मस्थान माना जाता है।

श्रावस्ती एक समृद्ध, विविध संस्कृति वाला एक ऐतिहासिक शहर है, और एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे बुद्ध का स्थान माना जाता है। यहां पर बुद्ध ने अपने शिष्यों को 25 वर्षों तक उपदेश दिया। राजा अशोक ने बुद्ध के मठ के प्रवेश द्वार के पास दो स्तंभों का भी निर्माण कराया था।

श्रावस्ती महोत्सव सर्दियों के अंत (जनवरी) में श्रावस्ती में मनाए जाने वाले प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक है। तीन से पांच दिनों की अवधि के लिए मनाया जाने वाला श्रावस्ती महोत्सव श्रावस्ती में चीनी मंदिर के पास आयोजित किया जाता है। इस उत्सव के दौरान विभिन्न स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। इस पूरे आयोजन का प्रमुख आकर्षण कव्वाली प्रदर्शन और बॉलीवुड नाइट है जिसमें भारतीय फिल्म या संगीत उद्योग की प्रसिद्ध हस्तियां शामिल होती हैं। इसके साथ ही इस उत्सव में विभिन्न कॉलेजों और स्कूलों के छात्र नृत्य, संगीत और नाटक भी प्रस्तुत करते हैं।

श्रावस्ती में घूमने की अन्य जगहें:-बुद्धिस्ट मंदिर,विपश्यना साधना केंद्र,जेतवन पुरातत्व,श्रीलंकन बुद्ध,विश्व शांति घंटा पार्क,रामपुर बांध,सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण,पक्की कुटी और कच्ची कुटी,

 

श्रावस्ती कैसे पहुंचें:

1. वायु मार्ग: श्रावस्ती से निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ है लखनऊ हवाई अड्डे श्रावस्ती से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डा भारत के अन्य शहरों जैसे कि नई दिल्ली, मुंबई, आगरा, चेन्नई और बेंगलुरु से अच्छी तरह से दोनों निजी और सार्वजनिक वाहक द्वारा संचालित उड़ानों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

2. रेल मार्ग: श्रावस्ती का निकटतम रेलवे स्टेशन बलरामपुर है जो श्रावस्ती से 17 किलोमीटर है। फिर भी, गोंडा रेलवे स्टेशन एक बेहतर विकल्प है । गोंडा स्टेशन उत्तर प्रदेश और भारत जैसे अन्य शहरों जैसे नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, आगरा, लखनऊ, बैंगलोर और अहमदाबाद आदि से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

3. सड़क मार्ग: श्रावस्ती सड़क मार्ग द्वारा उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम मेगा टर्मिनस गोंडा में है जो कि शहर श्रावस्ती से 50 किलोमीटर दूर है। गोंडा अच्छी तरह से लखनऊ, बरेली, कानपुर, इलाहाबाद,

 आगरा और मथुरा जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन के साथ साथ प्राइवेट बसों का संचालन नियमित रूप से होता है।

 

9. झांसी:-बुंदेलों की धरती 

 

झांसी kila
झांसी किला

झांसी उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है यह शहर 1857 की क्रांति के दौरान से ही रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के लिए प्रसिद्ध है।

उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी के किनारे पर स्थित झांसी आज उस जगह के लिए जाना जाता है जहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी की राज करती थी जिनकी वीरता पूरे देश दुनिया में प्रसिद्ध है। भारतीय इतिहास के सबसे समृद्ध और गौरवपूर्ण स्थानों में झांसी का नाम सबसे पहले आता है।

झांसी की गलियों आज भी झांसी की रानी की कहानी सुनने को मिलेगी।

झांसी की रानी और झांसी का किला अपने स्वाभिमान का जीता जागता प्रमाण है।

 

 

झांसी में घूमने की जगहें हैं:

झांसी का किला,रानी महल,चतुर्भुज मंदिर,पंचतंत्र पार्क,बरुआ सागर जलप्रपात,

संत जुड चर्च,परीछा बांध,राजकीय संग्रहालय,रानी लक्ष्मी बाई पार्क,गंगाधर राव की छतरी

 

झांसी कैसे पहुंचें:-

1. वायु मार्ग: झांसी का अपना खुद का कोई हवाई अड्डा नहीं है झांसी का निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर है जो झांसी से 120किमी. की दूरी पर है जोकि दिल्ली,मुंबई, चेन्नई, कोलकाता,लखनऊ से नियमित रूप से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।

2. रेल मार्ग: झांसी पहुंचने का सबसे आसान माध्यम है रेल झांसी देश के बाकी हिस्सों से ट्रेन के माध्यम से अच्छी तरह जुड़ा है जहां से रोजाना बहुत सी ट्रेनें झांसी के लिए चलाई जाती हैं।

3. सड़क मार्ग: झांसी देश के बाकी हिस्सों से राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

जिसके माध्यम से आप बस, कार और बस के माध्यम से आप आसानी से झांसी पहुंच सकते हैं।

घूमने का सही समय:सितंबर से अप्रैल

10.कुशीनगर:बौद्ध नगरी

 

कुशीनगर
कुशीनगर

उत्तर प्रदेश में स्थित कुशीनगर का अपना ऐतिहासिक,राजनैतिक और पयर्टन के दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है।यह एक विश्व प्रसिद्ध नगरी है। जहां बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध ने जीवन के अंतिम क्षण बिताए थे।आज यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण जगह के रुप में है।भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली होने के कारण यहां श्रीलंका,थाईलैण्ड,लाओस, कम्बोडिया, भूटान, म्यांमार सहित कई देशों के लोग यहां प्रत्येक वर्ष आते हैँ।

कुशीनगर को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सौगात मिलने के बाद कुशीनगर विदेशी पर्यटकों के लिए पहुंचना आसान हो गया है। कुशीनगर का महापरिनिर्वाण मंदिर भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में भगवान तथागत गौतम बुद्ध की 6.1 मीटर लंबी प्रतिमा प्राप्त हुई है। यह मूर्ति की उस अवस्था में है, जब भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में अपने नश्वर अवशेषों को छोड़ मोक्ष की अवस्था प्राप्त की। मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली और शांति पर्यटकों को आकर्षित करती है।

 

 

घूमने की अन्य जगहें:

निर्वाण स्तूप,महापरिनिर्वाण मंदिर,रामभर,थाई मंदिर, इंडो-जापान-श्रीलंका मंदिर,मठ कुअर श्राइन,चाइनीज मंदिर,बुद्ध संग्रहाल,मेडिटेशन पार्क,सूर्य मंदिर

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