
Makar Sankranti 2025 Date and Time: “मकर संक्रांति भारत का प्रमुख त्योहार है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। जानें इसके पौराणिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व, साथ ही विभिन्न राज्यों में मनाए जाने वाले रीति-रिवाजों और परंपराओं के बारे में।”
Makar Sankranti 2025 Date and Time:
मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक त्यौहार है, जो हर साल 14 या 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह त्यौहार कृषि, ऋतु परिवर्तन और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। मकर संक्रांति केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति से जुड़े कई पहलुओं को भी दर्शाता है।
इसे भी देखें https://thehungama.com/makar-sankranti-2025/?amp=1
मकर संक्रांति का महत्व:
मकर संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार उस दिन का प्रतीक है जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। इस खगोलीय घटना से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं, और इसे “उत्तरायण” की शुरुआत कहा जाता है। यह ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक है, जो फसलों की कटाई और नई शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति भारतीय धर्मग्रंथों और पुराणों में गहराई से जुड़ी हुई है। इससे जुड़े कुछ प्रमुख किस्से कहानियां-
1. भीष्म पितामह और उत्तरायण का महत्व: महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए उत्तरायण का समय चुना था, क्योंकि इस अवधि को आत्मा के लिए मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।
2. सूर्य और उनके पुत्र शनि का संवाद: मकर संक्रांति को सूर्यदेव के अपने पुत्र शनि से मिलने का समय भी माना जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जो शनि का स्वामित्व है। यह पिता-पुत्र के संबंध में प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है।
3. गंगा अवतरण और गंगा सागर: पौराणिक कथा के अनुसार, भागीरथ ने इस दिन अपनी तपस्या से गंगा नदी को पृथ्वी पर बुलाया था। मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति और खेती-किसानी:
यह त्यौहार भारत के कृषि-प्रधान समाज के लिए एक खास महत्व रखता है। फसल कटाई के समय यह त्यौहार किसानों के परिश्रम और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है।
फसलों का उत्सव: भारत के अलग-अलग हिस्सों में यह समय नई फसल के तैयार होने का होता है। मकर संक्रांति इस खुशी का जश्न है।
धान, तिल और गन्ना: किसान इन फसलों को इस त्यौहार में खास तरीके से इस्तेमाल करते हैं और इसे दूसरों के साथ बाँटते हैं।
इसे भी देखें https://thehungama.com/mahakumbh-2025-snan-date/?amp=1
गंगा सागर मेला:
मकर संक्रांति के अवसर पर हर साल पश्चिम बंगाल में गंगा सागर मेले का आयोजन होता है। यह संगम (गंगा और बंगाल की खाड़ी) का पवित्र स्थान है, जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
पौराणिक महत्व: कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल पवित्र होता है और स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं।
आधुनिक प्रबंधन: हर साल यह मेला लाखों लोगों को आकर्षित करता है, और सरकार के स्तर पर इस मेले के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
मकर संक्रांति के अन्य नाम:
मकर संक्रांति पूरे भारत में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।
उत्तर भारत:
इसे पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी, और उत्तर प्रदेश, बिहार में सिर्फ संक्रांति कहा जाता है।
गुजरात और महाराष्ट्र:
यहाँ इसे उत्तरायण और पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल:
इसे पौष संक्रांति के रूप में जाना जाता है, और यहाँ गंगा सागर मेले का आयोजन होता है।
दक्षिण भारत:
इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है और इसे चार दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
असम:
यहाँ इसे माघ बिहु या भोगाली बिहु कहा जाता है।
त्यौहार के अनोखे रीति-रिवाज:
मकर संक्रांति पूरे भारत में भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ मनाई जाती है:
1. पतंगबाजी:
गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएँ होती हैं। यह पतंगें लोगों के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक मानी जाती हैं।
2. गंगा स्नान और दान: उत्तर भारत में लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं और तिल, गुड़, वस्त्र, और अन्य चीजों का दान करते हैं।
3. खिचड़ी का महत्व: उत्तर भारत में मकर संक्रांति को “खिचड़ी पर्व” भी कहा जाता है। लोग इस दिन चावल और दाल से बनी खिचड़ी बनाते और इसे प्रसाद के रूप में बाँटते हैं।
4. पोंगल के दौरान गाय की पूजा: दक्षिण भारत में मकर संक्रांति पर गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है। गाय को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
त्यौहार के सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष
1. भोजन और पकवान
मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, चावल और गन्ने से बने व्यंजन प्रमुख होते हैं।
तिल-गुड़ के लड्डू: इनका धार्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्व है।
पोंगल: दक्षिण भारत में पोंगल (मीठे चावल) पकाए जाते हैं।
सांस्कृतिक भोज: देश के विभिन्न हिस्सों में खास पकवान बनाए जाते हैं, जैसे खिचड़ी, पकौड़े, और अन्य मिठाइयाँ।
2. पतंग उत्सव: गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी सबसे आकर्षक गतिविधियों में से एक है। यह परंपरा न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि लोगों को एक साथ जोड़ने का एक तरीका भी है।
3. धार्मिक अनुष्ठान
गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है।
दान-पुण्य करना, जैसे तिल, गुड़, और कपड़े दान करना, शुभ माना जाता है।
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा और गायों की सेवा का विशेष महत्व है।
इसे भी देखें https://thehungama.com/mahakumbh-mela-2025/?amp=1