
Dr. R chidambaram death: पद्म विभूषण वैज्ञानिक आर चिदंबरम का 4 जनवरी 2025 शुक्रवार को देर रात मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया। परमाणु परीक्षण में प्रमुख भूमिका निभाई और भारत में सुपर कंप्यूटर PARAM को विकसित करने में भी प्रमुख भूमिका निभाई। आइए जानते हैं कौन हैं आर चिदंबरम और उनके प्रमुख कार्य और उपलब्धियों के बारे में
Dr. R chidambaram death:
भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी जगत ने 4 जनवरी 2025 को एक अप्रतिम सितारा खो दिया, जब महान वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने न केवल देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों को ऊंचाई दी, बल्कि भारत को विज्ञान और परमाणु शक्ति के क्षेत्र में विश्वस्तर पर पहचान दिलाई। उनका जीवन और कार्य भारतीय युवाओं और वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
Dr. R chidambaram death:

भारत की महान परंपरा और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने वाले अनेक वैज्ञानिकों में राजगोपाला चिदंबरम (R. Chidambaram) का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। वे न केवल भारत के परमाणु कार्यक्रम के अग्रणी व्यक्तियों में से एक हैं, बल्कि उनकी नेतृत्व क्षमता और वैज्ञानिक उपलब्धियों ने भारत को वैश्विक विज्ञान के मानचित्र पर उच्च स्थान दिलाया है।
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Dr. R chidambaram Birth:
राजगोपाला चिदंबरम का जन्म 12 नवंबर 1936 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ।
Dr. R chidambaram Education:
प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग और विज्ञान के प्रति रुचि विकसित की। वे भौतिकी के अध्ययन में गहरी रुचि रखते थे, जो उन्हें विज्ञान की जटिल समस्याओं को समझने और हल करने के लिए प्रेरित करता था।
चिदंबरम ने कोयंबटूर के लोयोला कॉलेज से अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से भौतिकी में स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी डॉक्टरेट थीसिस परमाणु और ठोस अवस्था भौतिकी के क्षेत्र में थी। यह वह समय था जब भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हो रहा था।
Dr. R chidambaram Carrier:
चिदंबरम ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission) में बतौर शोधकर्ता अपना करियर शुरू किया। उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में काम करते हुए परमाणु और ठोस अवस्था भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किए।
उन्होंने भारत के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे लंबे समय तक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक रहे, जहां उन्होंने देश के परमाणु ऊर्जा और रक्षा से संबंधित कार्यक्रमों को नया आयाम दिया। उनके कुशल नेतृत्व में BARC ने ऊर्जा उत्पादन, चिकित्सा, और औद्योगिक उपयोग के लिए कई उपलब्धियां हासिल कीं।
Nuclear Test(परमाणु परीक्षण): भारत की शक्ति

राजगोपाला चिदंबरम को 1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों का प्रमुख शिल्पकार माना जाता है।
1. स्माइलिंग बुद्धा (1974): भारत के पहले परमाणु परीक्षण “स्माइलिंग बुद्धा” में चिदंबरम का योगदान अहम रहा। इस परीक्षण ने भारत को विश्व के चुनिंदा परमाणु संपन्न देशों में स्थान दिलाया।
2. पोखरण-II (1998): पोखरण-II परीक्षण भारत के लिए आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक बना। चिदंबरम ने इस मिशन में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया और परीक्षण की सफलता सुनिश्चित की।
इन परीक्षणों के माध्यम से भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं और रणनीतिक रक्षा में पूरी तरह सक्षम है।
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Super Computer Technology:
चिदंबरम केवल परमाणु विज्ञान में ही नहीं, बल्कि भारत के सुपरकंप्यूटर विकास में भी अग्रणी रहे।
उन्होंने PARAM सुपरकंप्यूटर परियोजना का मार्गदर्शन किया, जिसने भारत को उन्नत कंप्यूटिंग में आत्मनिर्भर बनाया।
उनका ध्यान भारत को प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने पर केंद्रित था, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए हुए थे।
Principal Scientific Adviser:
राजगोपाला चिदंबरम 1996 से 2001 तक भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार (Principal Scientific Adviser) रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित अनेक राष्ट्रीय परियोजनाओं का नेतृत्व किया।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशन (NTM): उनकी देखरेख में भारत में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिला।
स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास: चिदंबरम ने हमेशा “मेक इन इंडिया” का समर्थन किया और उच्चस्तरीय तकनीकी स्वायत्तता को प्राथमिकता दी।
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Principal Achievement(प्रमुख उपलब्धियां):
डॉ. चिदंबरम की उपलब्धियों की सूची लंबी और प्रेरणादायक है। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण हैं:
पद्म विभूषण सम्मान: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिए 1999 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1983): यह पुरस्कार भारतीय वैज्ञानिकों के लिए सर्वोच्च सम्मान है।
एच. जे. भाभा मेमोरियल अवार्ड: भारत के परमाणु विज्ञान में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद के सदस्य: 2000 के दशक में, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और वैज्ञानिक नीतियों पर प्रभावशाली भूमिका निभाई।
इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) में योगदान: उन्होंने वैश्विक परमाणु ऊर्जा नीति पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और देश के हितों को मजबूती से आगे बढ़ाया।
DRDO और ISRO के सहयोग: उन्होंने देश के रक्षा अनुसंधान और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी योगदान किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
राजगोपाला चिदंबरम ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल राष्ट्रीय सुरक्षा ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी किया जाना चाहिए।
वे अनुसंधान और विकास (R&D) में सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी के पक्षधर थे।
चिदंबरम ने युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
भारत के लिए उनकी विरासत:
राजगोपाला चिदंबरम की वैज्ञानिक दृष्टि और उनके अद्वितीय योगदान ने भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाया। उनके कार्यों ने न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का मान बढ़ाया, बल्कि सुरक्षा, रक्षा, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में देश को सशक्त किया।
उनकी जीवन यात्रा हमें यह संदेश देती है कि समर्पण, ज्ञान और उद्देश्य की स्पष्टता से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
राजगोपाला चिदंबरम भारतीय विज्ञान की गौरव गाथा के महत्वपूर्ण अध्याय हैं। उनका योगदान न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बनाने में अहम भूमिका निभाता है। उनके प्रयास और समर्पण भारत के वैज्ञानिक इतिहास के प्रेरणास्रोत हैं।
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